चित्रकोट को जाति-धर्म की राजनीति नहीं, विकास चाहिए

विकास मेरा कर्म, जनसेवा मेरा धर्म- बैज*

*(अर्जुन झा)*

लोहंडीगुड़ा। जाति-धर्म की राजनीति और विकास में से किसी एक को चुनना हो तो किसे चुनेंगे, यह सवाल चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के तीनों ब्लॉक के हर गांव, गली, घर में चर्चा का विषय है। जवाब एक ही है कि आपस में लड़ाने वाली राजनीति नहीं, विकास चाहिए। राजनीतिक टोटकेबाजी हमेशा विकास में बाधक बनती है, इसलिए राजनीति में जनसेवा के लिए जो नेता राजनीति से ऊपर उठकर काम करता है, वह भीड़ में सबसे अलग नजर आता है।

बस्तर और छत्तीसगढ़ की आवाज बनकर संसद में दहाड़ने वाले यंग टाइगर दीपक बैज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बैठी विपरीत विचारधारा वाली केंद्र सरकार के मंत्रियों से आग्रह कर करके बस्तर और छत्तीसगढ़ के विकास की योजनाएं मंजूर कराने, काम को गति दिलाने, वंचित अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को भारत सरकार से उनका हक दिलाने में सफल रहे हैं।

बतौर बस्तर सांसद उन्होंने वंचित जाति समूहों को न्याय दिलाने में संसद में बखूबी पक्ष रखा। परिणाम सामने है कि माहरा समाज के लोगों सहित अन्य वंचित तबकों को वह अधिकार मिल गया, जिसका इंतजार करते करते उनकी कई पीढ़ियां थक चुकी थीं। बस्तर की बंद पड़ी रेल सेवाओं को विस्तार और सुविधा के साथ बहाल कराने सत्याग्रह करने वाले दीपक बैज ने रायपुर से बस्तर तक सीधी रेल सेवा के लिए जितना संघर्ष किया है, वह एक मिसाल है। बेहद धीमी रफ्तार से चलने वाले रेल प्रोजेक्ट को गति दिलाने के लिए दीपक ने संसद से लेकर रेल मंत्री, अफसरों से लेकर रेल राज्यमंत्री तक, ऐसा प्रयास किया है कि बस्तर के कायाकल्प में उनका संघर्ष अमिट अक्षरों में अंकित है। जहां रेल और सड़क सुविधाओं का विकास और विस्तार होता है, वहां की जनता के जीवन में सुखद बदलाव के अवसर उत्पन्न होते हैं। यही वजह है कि बस्तर के लिए रेल सेवा के क्षेत्र में दीपक बैज ने पूरी ताकत झोंक दी तो जगदलपुर एनएच के लिए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से आग्रह कर इसे अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। बस्तर का नगरनार संयंत्र खरीदने की होड़ में शामिल बताए जा रहे अडानी समूह पर एलआईसी का 6,182 करोड़ 64 लाख रुपये बकाया है। समूह की छत्तीसगढ़ स्थित इकाइयों पर 191 करोड़ का ऋण एक्सपोजर है। यह भी संसद में दीपक बैज के सवाल पर सामने आया। नगरनार संयंत्र बचाने बैज ने हर स्तर पर प्रयास किया है और प्रधानमंत्री से ऐसा आदेश मांग रहे हैं कि बस्तर के नगरनार प्लांट का निजीकरण नहीं होगा। दीपक बैज ने बोधघाट के लिए हल निकलवाया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐलान किया कि बोधघाट परियोजना किसानों की भावना के अनुरूप रहेगी। दीपक के प्रयास से बस्तर की इमली कैंडी विदेशों तक पहुंच रही है तो यहां राहुल गांधी का वह सपना साकार हो रहा है जो उन्होंने इस क्षेत्र के आदिवासी विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए देखा है। कुल मिलाकर दीपक बैज ने राजनीति से ऊपर उठकर सिर्फ विकास की राजनीति की है। उनका कहना है कि विकास ही मेरा मकसद है। जनसेवा ही मेरा मजहब है।

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