जैसा नाम, वैसा काम हो रहा है ग्राम पंचायत चोकर में

 आटे के चोकर की तरह अनुपयोगी साबित हो रहे हैं पंचायत के सारे कार्य =

= फंड पूरा ले लिया और सारे निर्माण छोड़ दिए अधूरे =

= सरपंच को नहीं है स्वीकृत फंड के बारे में जानकारी =

*-अर्जुन झा-*

*बकावंड।* ग्राम पंचायत चोकर जैसा नाम वैसा गुण वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। आटे के चोकर की तरह इस ग्राम पंचायत द्वारा कराए गए सारे कार्य अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। शासन के करोड़ों खर्च हो गए, मगर ग्रामीणों को फायदा कौड़ी भर का नहीं हुआ। ग्राम पंचायत ने स्वीकृत फंड से पूरी रकम निकाल ली है, मगर सारे कार्य आधे अधूरे ही पड़े हैं। हैरानी की बात तो यह है कि सरपंच को फंड और कार्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि सचिव ही सारा काम देखते हैं।

 बकावंड के करीब स्थित बस्तर विकासखंड की ग्राम पंचायत का वही हाल हो गया है, जैसा कि आटे को छानने के बाद निकलने वाले चोकर का होता है। इस चोकर को व्यर्थ समझ लोग या तो फेंक देते हैं, या फिर मवेशियों और मुर्गियों के खाने के लिए डाल देते हैं। ग्राम पंचायत चोकर तो वह ‘चोकर’ है, जिसके जरिए सरपंच, सचिव और अधिकारी अपने खाने का इंतजाम करते हैं। ग्राम पंचायत के हर कार्य में अनियमितता आम बात हो गई है। विभिन्न विकास एवं निर्माण कार्यों के लिए स्वीकृत फंड से पूरी रकम आहरित कर ली जाती है, लेकिन कोई भी काम पूरा नहीं कराया जाता। चोकर में पड़े आधे अधूरे निर्माण इस बात की तस्दीक करते दिखाई दे रहे हैं। जल जीवन मिशन व नल जल योजना के तहत गलियों में स्थापित सार्वजनिक नलों तथा घरों में लगाए गए निजी नलों के स्टैंड पोस्ट की प्लेटफार्म निर्माण सीसी रोड़ निर्माण के काम को पूरा नहीं किया गया है। ग्राम पंचायत कार्यालय के समीप बड़े बड़े गड्ढे हैं, जहां गंदा पानी भरा हुआ है। गड्ढे में बोरिंग का पानी भर रहा है। इस पानी में मच्छर पनपने रहे हैं।

*बॉक्स*

*हलाकान हो रहे हैं ग्रामीण*

ग्राम पंचायत भवन के आसपास स्थित घरों में रहने वाले लोग मच्छरों और गंदगी से हलकान हो रहे हैं। वे मच्छरों के कारण रातभर सो नहीं पाते। लोग मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इन गड्ढों का पानी बुरी तरह खराब हो चुकी है और पानी से उठने वाली दुर्गंध से ग्रमीणों का जीना दुश्वार हो गया है। उसी गड्ढे से लगकर टॉयलेट बनाया गया है, जो खस्ताहाल हो चुका है। उसके अंदर तथा बाहर चारों ओर घास फूस व झाड़ियां उग आई हैं। यह टॉयलेट लोगों के लिए पूरी तरह अनुपयोगी हो गया है है। स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। गांव में साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। जहां देखो, वहां गंदगी पसरी पड़ी है। नलों की टोटियां गायब हैं, पीने का पानी खुले पाईप से व्यर्थ बहते रहता है। नाली निर्माण में गुणवत्ता का जरा भी ध्यान नहीं रखा गया है। नाली से वेस्टेज पानी का बहाव  नहीं हो पा रहा है और सारी नालियां गंदगी से लबरेज होकर जाम हो गई हैं। कई कार्य स्वीकृत हैं, किंतु सारे कार्य अब तक अपूर्ण हैं। सीसी रोड के लिए स्वीकृत पूरी रकम निकाल ली गई है, पर काम अधूरा कराकर छोड़ दिया गया है। गोठान योजना की खाद पंचायत भवन में पड़ी है। उसे बेचने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गांव की स्ट्रीट लाईट कई माह से बंद है। गांव में पूरी रात अंधेरा छाया रहता है।सरपंच श्रीमती लछिन बघेल से बात करने पर वे कहती हैं कि उन्हें फंड के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सचिव ही सारा कामकाज देखते हैं। किस कार्य के लिए कितनी राशि स्वीकृत हुई है, इस बारे में सचिव को ही पता है।

*वर्सन*

*नहीं मिली है पूरी रकम*

जितनी रकम मिली थी, उससे कार्य कराए गए हैं। बाकी रकम मिलने के बाद अधूरे कार्य पूरे कराए जाएंगे।

          *-कमल भद्रे,*

      सचिव, ग्राम पंचायत,    

        चोकर

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