शा. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर के मनोविज्ञान विभाग द्वारा ऑनलाइन व्याख्यान श्रृखला का आयोजन किया गया.

Durg, /- आज दिनांक 27.01.2024 को शा. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशाशी महाविद्यालय, दुर्ग के
मनोविज्ञान विभाग द्वारा ऑनलाइन व्याख्यान श्रृखला का आयोजन किया गया. आज का व्याख्यान माला
मानसिक स्वास्थ्य, कल्याण और खुशहाली विषय पर आधारित था. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एम.ए. सिद्धकी
के स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम का आरभं किया गया साथ ही विषय की प्रासंगिता को बताते हुए अपने
वक्तव्य से छात्रो का उत्साह वर्धन किया. व्याख्यान माला के मुख्य अतिथि पं. सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय के
माननीय कुलपति डॉ. बी.जी. सिंह थे. मुख्य वक्ता के रूप में पं. सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय के माननीय
कुलपति डॉ. बी.जी. सिंह एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. मीतू घोसला थी. कार्यक्रम के आरभ में
मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रचिता श्रीवास्तव ने व्याख्यान माला के मुख्य थीम पर प्रकाश डाला एवं
प्राध्यापक डॉ. प्रतिभा शर्मा के द्वारा अथितियों का परिचय कराया.
व्याख्यान के पहले सत्र में डॉ. बी.जी. सिंह ने अपने व्यख्यान में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए कहा कि
मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए की दुनिया को अलग ढंग से देखने की जरुरत है.धनात्मक सोच के साथ
अच्छे और बुरे अनुभवों का मूल्यांकन करना जरुरी है. अंतर्व्यक्तिक संबंधो पर भी ध्यान रखना चाहिए.और अहंकार
को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए.इसके आलावा उन्होंने महात्मा गांघी और गौतम बुध का उधाहरण देते
हुए समझाया कि किस प्रकार संतोष पूर्ण जीवन यापन करते हुए प्रसन्नचित होकर रहा जा सकता है.
व्याख्यान माला के अगले सत्र में डॉ. मीतू घोसला ने हैपीनेस पर विशेषरूप से प्रकाश डाला. आपने कहा सब कुछ
होते हुए भी हम उदास होते है और कुछ न होते हुए भी हम खुश रहते है. यह व्यक्तिगत होता. यह हमारी
आवश्यताओं से भी जुड़ा रहता है. आध्यात्म भी हमारे ख़ुशी एवं कल्याण के स्तर को बढ़ा देता है. उन्होंने बताया
कि मानसिक रूप से स्वस्थ्य और प्रसन्नचित होने के लिए सामाजिक एवं व्यक्तिगत पहलुओं पर भी ध्यान देना
आवश्यक है. उन्होंने नकारात्मक पहलू को भी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण बताया क्योकि इनके माध्यम से ही
नए अनुभव प्राप्त किये जा सकते है. संवेगों का नियंत्रण अतिआवश्यक है. उम्र के साथ हम सवेग का नियमन भी
करना सीखते है. कार्यक्रम के अंत में विभाग की व्याख्याता कु. पुष्पलता निर्मलकर ने आभार प्रदर्शन किया. छात्र-
छात्राओं ने विशेषज्ञों से प्रश्न-उत्तर कर अपनी जिज्ञासा को शांत किया.

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