प्रेमचंद की रचनाओं में ग्रामीण जीवन की समस्याओं के साथ देश प्रेम की भावनाएं भी निहित थी: राहुल सिंह
भिलाई 01 Aug. (Swarnim Savera) । पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ द्वारा रविवार को इंडियन कॉफी हाउस सेक्टर 10 में कथा शिल्पी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई.इस अवसर पर संस्कृति कर्मी एवं पुरातत्ववेत्ता राहुल सिंह ने कहा कि कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने अपनी छोटी – बड़ी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से जहां ग्राम्य जीवन की समस्याओं को उकेरा एवं समाधान किया , वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं में देश प्रेम की झलक भी दृष्टिगोचर होती है। प्रेमचंद की लिखी अनेक कृतियां और रचनाएँ अभी भी सामान्य पाठकों की पहुँच से बाहर हैं, हमें ऐसी दुर्लभ रचनाओं की तलाश कर उन पर भी चर्चा करनी चाहिए। उन्होने ऐसी ही एक रचना ‘रामकथा’ का जिक्र भी किया।
कहानीकारद्वय डॉक्टर चंद्रिका चौधरी सरायपाली ने अपनी कहानी ‘घास की जमीन’ और श्रद्धा थवाईत रायपुर ने ‘पंख कुतरती मकड़ी ‘ कहानी का पाठ किया। अपने नई शैली और कथ्य के कारण इन कहानियों ने श्रोताओं को आकर्षित किया।
आयोजकीय वक्तव्य में बख्शी सृजनपीठ के अध्यक्ष ललित कुमार ने कहा कि कथाकार मुंशी प्रेमचंद ने ऐसे समय में लेखन की शुरुआत की जब देश गुलामी से स्वतंत्र होने की ओर संघर्षरत था।उन दिनों प्रेमचंद की रचनाओं ने आमजनों के लिए देश को गुलामी से मुक्त कराने हेतु संघर्षरत युवाओं के लिए अमृत का काम किया। प्रेमचंद पूरे विश्व के बिरले लेखकों में अग्रणी हैं जिन्होंने आम आदमी की समस्याओं को अपने लेखन का आधार बनाया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ रजनीश उमरे तथा आभार व्यक्त व्यंग्यकार विनोद साव ने किया। कार्यक्रम में प्रदीप वर्मा ,त्र्यम्बकराव साटकर ,अनिल मौर्य ,नरेश विश्वकर्मा ,शुचि ‘ भवि’ ,प्रदीप भट्टाचार्य, इन्दु शंकर मनु, ऋषि गजपाल, शानू मोहनन, ओम प्रकाश जायसवाल, एन एल मौर्य ,डॉ दीनदयाल साहू, डॉ डीपी देशमुख, हितेश साहू, सनत मिश्रा ,ज्ञानिक साव, कल्याण सिंह लोक ,सुरेश बंछोर, अनुराधा बख्शी ,आलोक शर्मा, तथा नारायण चंद्राकर सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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