बीत गए दिन गिन -गिन, नेता अब गिनने लगे हैं पल क्षिन
= चुनावों और मतदान में नेता रहे हैं मस्त, अब नतीजे को लेकर होने लगी हालत पस्त =
*-अर्जुन झा-*
*जगदलपुर।* पूरे विधानसभा चुनावों में जमकर भागदौड़ करने के बाद भी जिन नेताओं के माथे पर पसीने की एक बूंद नजर नहीं आती थी, होठों पर हरदम मुस्कुराहट छाई रहती थी, अब उन्हीं नेताओं की ललाट पर पसीने की सैकड़ों बूंदें झिलमिला रही हैं, होठों से मुस्कान गायब हो चुकी है। वजह है चुनावी नतीजे और तमाम एग्जिट पोल में आए हैरान करने वाले आंकड़े।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावी मास में दोनों प्रमुख दलों के साथ ही जनता कांग्रेसछत्तीसगढ़ (जे) और प्रवासी दल आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी जमकर भागदौड़ की थी। हर प्रत्याशी पर लाखों करोड़ों रुपए फूंके गए। लाख करोड़ फूंकने में नेता जरा भी गुरेज नहीं करते। उन्हें अच्छे से मालूम है कि रजनीति ही एक ऐसा धंधा है, जिसमें जितना अधिक इन्वेस्ट करो, उससे लाख गुना ज्यादा रिटर्न मिलता है। चुनाव के दौरान माह – डेढ़ माह भागदौड़ और मेहनत करने में क्या जाता है, जीतने के बाद तो करोड़ों के वारे न्यारे तो होने ही हैं, आराम ही आराम रहना है। खैर ये सब तो चलता है। अब मुद्दे की बात। चुनाव में जमकर पसीना और पैसा बहाकर भी जो नेता आकुल – व्याकुल नहीं हुए थे, वे चुनावी नतीजे की चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं। गिन गिन बीतते जा रहे हैं दिन, करीब आ गया है नतीजे का दिन। अब सारे उम्मीदवार गिन रहे हैं पल -पल, क्षिन -क्षिन। वे पहले मतगणना वाली तारीख को पहले माह, फिर हफ्ते, फिर दिन में गिनते थे। अब घंटे और पलों में करने लगे हैं। इस खबर को तैयार किए जाते वक्त तक मतगणना को 32 घंटे 28 मिनट बाकी रह गए थे और प्रकाशित होते तक 21- 22 घंटे ही शेष रह जाएंगे। कुछ इसी अंदाज में विधानसभा के रण के सारे के सारे महारथी भी कयामत की रात के गुजरने का इंतजार कर रहे होंगे।
*बॉक्स*
*एग्जिट पोल ने दे दी बड़ी टेंशन*
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम एकसाथ 3 दिसंबर को आने हैं। आखिरी दौर में तेलंगाना विधानसभा के चुनाव निपटे। वहां मतदान प्रक्रिया खत्म होते ही एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों का खेल शुरू हो गया। तमाम एग्जिट पोलों में बताए गए संभावित नतीजों का प्रसारण देश के सभी प्रमुख टीवी चैनलों में होने लगा। तख्त और ताज बदलने की तस्वीर पेश करते इन एग्जिट पोलों ने नेताओं के मुंह का जायका बिगाड़ दिया है, उनके तेवर बदल दिए हैं। उनके माथे पर पसीने की बूंदें लरजने लगी हैं। जो भाजपा नेता विपक्षी दल को उखाड़ फेंकने और बदल के रहिबो का दम भरते थे, वे भी अब सिटपिटा से गए हैं। वहीं जो कांग्रेस नेता अबकी बार 75 पार हुंकार भरते आ रहे थे, उनकी भी सांस इन एग्जिट पोलों ने फुला डाली है।अब किसी के सामने सरकार बचाने की, तो किसी के सामने सरकार बनाने की चुनौती है। जोड़तोड़, ऑपरेशन लोटस और ऑपरेशन पंजा की संभावना बढ़ गई है। इससे बचने और खेल करने के लिए राजनैतिक दलों ने खेल भी शुरू कर दिया है।