डौण्डी -आदमाबाद बालोद रोड निर्माण में एसडीओ की मनमानी
= सीजी आरआईडीसी से स्वीकृत है यह निर्माण कार्य =
= बड़े अधिकारियों को बदनाम करने की कुटिल चाल =
*-विशेष संवाददाता-*
*रायपुर।* छत्तीसगढ़ रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमि. द्वारा बालोद जिले में स्वीकृत डौण्डी से बालोद तक स्टेट हाईवे विभाग के एसडीओ की मनमानी की भेंट चढ़ गया है। सड़क निर्माण की गुणवत्ता को तिलांजलि दे दी गई है। यह निर्माण कार्य जहां लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है, वहीं घटिया कार्य की वजह से विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सरकार की बदनामी हो रही है।
सीजीआरआईडीसी द्वारा डौण्डी से बालोद जिला मुख्यालय के निकट स्थित आदमाबाद जलाशय तक 41 किमी लंबे स्टेट हाईवे निर्माण के लिए 7929.50 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है। यह सड़क ओकारी, कांडे, कुर्रुटोला, भर्रीटोला, घोठिया, हर्राठेमा व अन्य गांवों से होकर बनाई जा रही है। इस कार्य में 41 किमी मिट्टी कार्य, 41 किमी जीएसबी कार्य, 41 किमी डब्ल्यूएमएम कार्य, 41 किमी डामरीकरण कार्य, 64 नग ह्यूम पाईप पुलिया निर्माण, 45 नग स्लैब निर्माण और चार नग मध्यम पुल निर्माण कार्य शामिल हैं। सारे कार्य एक अनुभवी ठेकेदार से कराए जा रहे हैं। सुपरविजन की जिम्मेदारी विभाग के एसडीओ अजय सरीन नाथ पर है, लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर अपने मातहत एक सब इंजीनियर को मॉनिटरिंग का काम सौंप दिया है। अमूमन किसी भी निर्माण कार्य के लिए ठेकेदार को जिम्मेदार माना जाता हैं, लेकिन मॉनिटरिंग और सुपरविजन करने वाले अधिकारी की जवाबदेही कम नहीं हो जाती। इस सड़क निर्माण कार्य मे इस एसडीओ अजय सरीन नाथ अपने सहयोगी सब इंजीनियर के माध्यम से सरकार की महति योजना को पलीता लगाने पर तुल गए हैं। बन रही महत्वपूर्ण सड़क को महत्वहीन बना दिया गया है। धूल धूसरित सड़क पर चलने वाले लोग और उस सड़क के आसपास स्थित डौण्डी, हर्राठेमा, घोठिया, कांडे, ओकारी, कुर्रुटोला, भर्रीटोला समेत अन्य गांवों के ग्रामीण एसडीओ की मनमानी के चलते परेशान हो रहे हैं।डौण्डी से बालोद के बीच करीब 50 ग्राम पंचायतें और उनके आश्रित दर्जनों गांव इस सड़क की जद में आ रहे हैं। इन सभी गांवों का जीना मुहाल हो गया है। सड़क उबड़ खाबड़ और धूल से अटी पड़ी है। वाहनों ट्रेक्टर, बैलगाड़ियों तक का चलना मुश्किल हो चुका है। धान कटाई और मिसाई का दौर चल रहा है, लेकिन सड़क की दुर्दशा के कारण किसान ये कार्य नहीं कर पा रहे हैं। धान फसल के गट्ठे लदी बैलगाड़ियां और ट्रेक्टर पलट जा रहे हैं। दर्जनों किसान और मजदूर हादसों का शिकार बन घायल हो चुके हैं। वहीं सड़क से उड़ती धूल की मोटी परत गांवों के घरों पर जम गई है, धूल के कारण ग्रामीण सांस संबंधी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इस एसडीओ के कारनामों की कहानी बड़ी लंबी है। बताते हैं कि एसडीओ द्वारा स्तरहीन कार्य करने के लिए ठेकेदार पर दबाव बनाया जाता है। ताकि सीजीआरआईसी और संबंधित विभाग के उच्च अधिकारी लपेटे में आ जाएं।