कांग्रेस नेताओं को अब छोड़ना पड़ेगा पदों का तोहफा

सत्ता परिवर्तन के साथ ही अब शुरू होगी विदाई मुहिम =

= जिस पार्टी ने सब कुछ दिया, उसी को दिया दगा =

*-अर्जुन झा-*

*जगदलपुर।* सियासत में कुर्सी किसी की सगी नहीं होती। किसी को कुर्सी मतदाता दिलाते हैं, तो किसी को सियासतदां तोहफे में दे देते हैं। मतदाता ने तो अपनी दी हुई कुर्सी कांग्रेस से छीनकर भाजपा के हवाले कर दी है। अब तोहफे में मिली कुर्सी छोड़ने की बारी उन नेताओं की है, जिन्हें उनके आका कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने उपकृत किया था। इन उपकृत नेताओं ने पार्टी का कर्ज उतारने के बजाय पार्टी की ही पीठ में खंजर घोंपने का काम किया है। ऐसे उपकृत नेताओं में बस्तर संभाग के भी करीब आधा दर्जन नेता शामिल हैं। अब इन नेताओं को भी तोहफे में मिले पद छोड़ने पड़ेंगे। नेट

     छत्तीसगढ़ की सियासत में बड़ा उलटफेर हो चुका है। 15 साल तक वनवास का दंश झेल चुके कांग्रेस के नेताओं को सन 2018 में बड़ी राहत नसीब हुई थी। तब छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने सत्ता को दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल फेंका और कांग्रेस को के शिखर पर पहुंचा दिया। सालों तक सत्ता के स्वाद से वंचित रहे कांग्रेस के आला नेताओं ने अपने सिपहसालारों को पद रेवड़ी की तरह बांट दिए। अक्षय ऊर्जा विकास निगम, आदिवासी विकास प्राधिकरण, इंद्रावती विकास प्राधिकरण, हस्तशिल्प विकास बोर्ड, हज कमेटी, उर्दू अकादमी, पर्यटन विकास मंडल, माटी कला बोर्ड समेत तमाम निगमों, अकादमी, मंडलों और प्राधिकरणों में अपने चहेतों को पद दिए गए। यह कोई असंवैधानिक कदम नहीं बल्कि राजनीति की परंपरा है। जिस दल की सत्ता होती है, उस दल के लोगों को ऐसे पद उपहार स्वरूप देने की परंपरा छत्तीसगढ़ ही नहीं, अपितु सभी राज्यों में दशकों से चली आ रही है। छत्तीसगढ़ में अब फिर से भाजपा की बारी आ गई है। पूर्ववर्ती सरकार के दौरान जिन कांग्रेस नेताओं को तोहफे में ये पद मिले थे, उन्हें अब ये पद लौटाने होंगे। सत्ता में आते ही भाजपा ने बेदखली अभियान का ऐलान कर दिया है।

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*अभी चखना सेंटर, आगे….?*

सत्ता परिवर्तन के साथ ही राजधानी रायपुर, न्यायधानी बिलासपुर और शिक्षाधानी भिलाई में शराब दुकानों के आसपास संचालित अवैध चखना सेंटरों पर प्रशासन का बुलडोजर एक्शन शुरू हो गया है। पदों से बेदखली का एक्शन भी जल्द शुरू होगा। फिलहाल रायपुर हेड क्वार्टर से इस बाबत लेटर एक्शन शुरू हो चुका है। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल मंडलों, निगमों, प्राधिकारणों, अकादमी आदि के अध्यक्षों व सदस्यों को बेदखल किया जाएगा। विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों व सदस्यों को कार्यकाल पूरा होते तक पद पर बने रहने दिया जाएगा।

*बॉक्स*

*चलता किए जाएंगे बस्तर के ये नेता*

नई भाजपा सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे ‘बेदखली अभियान’ से बस्तर के आधा दर्जन कांग्रेस नेता प्रभावित होंगे। इन नेताओं में ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार, इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा, सदस्य मलकीत सिंह गैदू, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, सदस्य विक्रम मंडावी, हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप, उर्दू अकादमी के सदस्य अनवर खान व मदरसा बोर्ड के गफ्फार अली शामिल हैं। अब ये नेता ज्यादा दिनों तक पद का सुख नहीं भोग पाएंगे। उनकी जगह भाजपा समर्थक इन पदों से नवाजे जाएंगे।

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