फर्जी शिकायत पर छीन ली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी !

    = परियोजना अधिकारी के रवैए के विरोध का इस तरह लिया गया बदला =

    = सरपंच, पंचों ने शपथ पत्र में शिकायत की बात नकारी =

    *-अर्जुन झा-*

    *जगदलपुर।* बास्तानार विकासखंड में पदस्थ महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी के रवैए का विरोध करने पर ग्राम पुसेम की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी साजिश के तहत छीन ली गई। इस मामले में जनपद सदस्यों को भी अंधेरे में रख सेवा समाप्ति के प्रस्ताव को उनसे स्वीकृति दिला दी गई। जिन सरपंच, पंचों व ग्रामीणों की शिकायत का हवाला देकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बर्खास्त किया गया है, उन सभी ने शपथ पत्र देकर शिकायत की बात से इंकार किया है। 

               बस्तर जिले के सुदूर वनांचल बास्तानार विकासखंड में पदस्थ महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी उर्मिला खोब्रागढ़े की मनमानी और लापरवाही को लेकर खूब बवाल मचा था। परियोजना अधिकारी के रवैए के खिलाफ आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता एवं सहायिकाएं आंदोलन पर चली गई थीं।इसके चलते आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था चरमरा गई। विगत पांच वर्षों से बतौर प्रभारी पदस्थ परियोजना अधिकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं से समन्वय बनाने और शासन की योजनाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में नाकाम रही हैं। वे मनमानी पर उतर आई थीं। समय बेसमय आंगनबाड़ी केंद्रों में निरीक्षण के नाम पर पहुंच जाने, कार्यकर्ताओं से दुर्व्यवहार करने, बात बात पर कारण बताओ नोटिस जारी करने उच्च अधिकारियों के समक्ष झूठी शिकायतें करने जैसे कारनामों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं परेशान हो उठी थीं। वे परियोजना अधिकारी पर आतंक का राज कायम करने का आरोप लगाते हुए आंदोलन पर उतर आई थीं।कार्यकर्ताओं ने बताया कि परियोजना अधिकारी कभी भी आकस्मिक रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों में उपस्थित होकर कार्यकर्ताओं को लगातार परेशान करती हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों के निरीक्षण के दौरान अनावश्यक आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी कर कई कार्यकर्ताओं को बर्खास्त करने की धमकी भी परियोजना अधिकारी द्वारा दी जाती है। साथ ही प्रतिमाह मानदेय राशि और अन्य देयकों को बेवजह रोक दिया जाता है। इसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजरना पड़ता है।परियोजना अधिकारी उर्मिला खोब्रागढ़े पांच साल से यहीं पदस्थ हैं। उनके अधीन दरभा ब्लॉक और बास्तानार ब्लॉक शामिल हैं। 5 वर्षों से बास्तानार विकासखंड की प्रभारी होने की वजह से दोनों ही विकासखंडों का शासकीय कार्य लगातार बाधित हो रहा है। दोनों ब्लॉकों में आंगनबाड़ी केंद्रों के कर्मचारियों के साथ परियोजना अधिकारी समन्वय बनाकर कार्य करने में नाकाम रही हैं। उनकी मनमानी और लापरवाही के चलते नौनिहालों के लिए शासन द्वारा संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन भी प्रभावित हो रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने उच्च अधिकारियों से परियोजना अधिकारी के खिलाफ शिकायत भी की थी। आंदोलन एवं शिकायत करने वालों का नेतृत्व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ की प्रदेश अध्यक्ष रुक्मणि सज्जन कर रही थीं। रुक्मणि सज्जन बास्तानार विकासखंड की ग्राम पंचायत बिरगाली के आश्रित ग्राम पुसेम के आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता के पद पर कार्यरत रही हैं। परियोजना अधिकारी ने रुक्मणि सज्जन के खिलाफ झूठे शिकायत पत्र लगवाकर उन्हें बर्खास्त करवा दिया। जिन लोगों द्वारा शिकायत की जाने का हवाला देकर बर्खास्तगी की गई है, उनमें बिरगाली के सरपंच अशोक कुमार पोयाम, पुसेम के महेश पोयामी, फगनू राम पोयामी, सुखराम पोयामी आदि शामिल हैं। इन चारों व्यक्तियों ने महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत कर कहा है कि उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रुक्मणि सज्जन के खिलाफ कभी किसी अधिकारी को शिकायती आवेदन नहीं दिया है। उनके नाम से फर्जी शिकायती पत्र बनाकर रुक्मणि सज्जन के खिलाफ साजिश रची गई है। सरपंच और ग्रामीणों ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रुक्मणि सज्जन के कामकाज की सराहना करते हुए उनकी सेवा समाप्ति को गलत ठहराया है।

    *बॉक्स*

    *शक के घेरे में परियोजना अधिकारी*

    नोटरी द्वारा सत्यापित हलफनामा जिला कार्यक्रम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर बिरगली के सरपंच अशोक पोयाम, ग्रामीण महेश पोयामी, फगनू पोयामी और सुखराम पोयामी ने एक बड़ी साजिश की पोल खोल दी है। अब शक के घेरे में महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी उर्मिला खोब्रागढ़े आ गई हैं। परियोजना अधिकारी के कारनामों को उजागर करने और उनकी मनमानी के खिलाफ आंदोलन शुरू करने में रुक्मणि सज्जन की बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में जाहिर है कि रुक्मणि सज्जन से परियोजना अधिकारी खुन्नस रखने लगी थीं। कांटे की तरह खटक रही रुक्मणि को रास्ते से हटाने के लिए झूठे शिकायत पत्र बनवाए गए और प्रतिवेदन जनपद पंचायत बास्तानार के सीईओ के समक्ष पेश किया गया। सीईओ ने भी इस पर आंख मूंदकर भरोसा कर लिया। जनपद पंचायत की बैठक में मामला रखा गया और जनपद सदस्यों को पूरे तथ्यों से अवगत कराए बगैर रुक्मणि सज्जन की सेवा समाप्ति का प्रस्ताव पारित करा लिया गया। बताते हैं कि इसमें पूर्व विधायक की बड़ी भूमिका रही है।

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