स्टील प्लांट के जहरीले पानी से 200 एकड़ की फसल तबाह

शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य ने ने उठाई मुआवजे की मांग =

*जगदलपुर।* शहर जिला कांग्रेस कमेटी बस्तर जगदलपुर के अध्यक्ष सुशील मौर्य ने कहा है कि नगरनार इस्पात संयंत्र से निकलने वाले केमिकल युक्त जहरीले पानी से नगरनार एवं अन्य गांवों में दो सौ एकड़ रकबे की खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। गांव के तीन तालाब पूरी तरह प्रदूषित हो गए हैं और मनुष्यों तथा पशु पक्षियों की जान पर बड़ा खतरा पैदा हो गया है। श्री मौर्य ने प्रभावित किसानों को प्लांट प्रबंधन की ओर से मुआवजा दिलाने के साथ ही इस बड़ी लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग जिला प्रशासन से की है। स्टील प्लांट से निकलने वाले खतरनाक केमिकल मिले काले पानी के प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यह जहरीला पानी गांव के खेतों और निस्तारी तालाबों में पहुंच रहा है। इस पानी के असर से खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। दो सौ एकड़ से भी ज्यादा रकबे की धान व दीगर फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। इससे किसानों को कई करोड़ रुपयों की क्षति पहुंची है। यह खतरनाक रसायनों वाला पानी गांव के निस्तारी तालाबों में भी पहुंच रहा है और पानी को पूरी तरह प्रदूषित कर चुका है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य ने अपने समर्थकों के साथ नगरनार और अन्य प्रभावित इलाकों का दौरा कर हालात का जायजा लिया। उन्होंने गांव के किसानों, ग्रामीणों, महिलाओं और ग्राम प्रमुखों से चर्चा की। श्री मौर्य ने बताया कि इस्पात संयंत्र से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से 200 एकड़ की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। किसानों को करोड़ों का आर्थिक नुकसान हुआ है। यह काला पानी रिहायशी क्षेत्र, खेतों और गांव के तीन निस्तारी तालाबों में घुस रहा है। तालाबों की मछलियां, मेंढक व अन्य जल जीव पूरी तरह खत्म हो चुके हैं। प्लांट से निकल रहा काला पानी इतना जहरीला है कि मवेशी और पक्षी तक इसे पी नहीं सकते और पीते हैं तो कुछ ही देर में दम तोड़ देते हैं। कांग्रेस नेता सुशील मौर्य ने कहा है कि बिना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए के संयंत्र में इस्पात उत्पादन प्रारंभ करना नगरनार के किसानों और रहवासियों के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहा है। एनएमडीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन प्रभावितों को मुवावजा दिलाएं तथा मिट्टी और कले पानी का परीक्षण कराकर ग्रामीणों को भविष्य में संभावित गंभीर दुर्घटना से बचाने की तत्काल पहल करें।

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