टल गया संकट! CM सुक्खू ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई, डैमेज कंट्रोल का दावा
शिमला. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार का सियासी संकट फिलहाल टलता नजर आ रहा है. यहां पर कांग्रेस के ऑब्जर्वर्स ने शिमला के सिसिल होटल में विधायकों, प्रदेशाध्यक्ष और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की है. ऑब्जवर्स ने सीएम से लंबी बातचीत की. साथ ही कहा कि सब ठीक है और डैमेज कंट्रोल कर लिया गया है.
जानकारी के अनुसार, बुधवार शाम को डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा शिमला पहुंचे और यहां पर कांग्रेस नेताओं से मीटिंग की. मीटिंग के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सब ठीक है. वहीं, मीटिंग के बाद कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह अपना इस्तीफा को लेकर सीएम पर दवाब नहीं डालेंगे. सीएम ने भी कहा कि उन्होंने विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है और वह उनके छोटे भाई हैं. बैठकों के दौरान पार्टी के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ल और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद रहे.
सूत्र बताते हैं कि क्रॉस वोटिंग करने वाले छह कांग्रेस विधायकों से भी कांग्रेस आलाकमान संपर्क में हैं. उन्हें भी मनाने की कोशिशें जारी हैं. मीटिंग के बाद विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह अपने इस्तीफे को लेकर प्रेशर नहीं डालेंगे. बता दें कि सीएम सुक्खू ने गुरुवार को कैबिनेट की मीटिंग भी बुलाई है. सरकार पर सकंट टलने की सबसे बड़ी वजह यह भी है कि विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है और साथ ही बजट भी पास हो गया है.
बुधवार को हिमाचल विधानसभा में बजट सत्र के दौरान प्रदेश का बजट पारित किया गया. बागी औऱ भाजपा विधायकों ने इस दौरान हिस्सा नहीं लिया और बहुमत के साथ बजट पारित हो गया. फिलहाल, बागी विधायक हरियाणा के पंचकूला लौट आए हैं.
उधऱ, व्हिप का उल्लंघन करने वाले कांग्रेस के छह बागियों पर विधायकी जाने की तलवार लटकी है. इस मामले में स्पीकर ने सुनवाई की है और अपना फैसला रिजर्व रखा है. स्पीकर का कहना है कि विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया है, यह एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत आता है. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया गुरुवार को सुबह 11 बजे के आसपास 6 दलबदलू कांग्रेस विधायकों के भविष्य पर आदेश सुना सकते हैं. कांग्रेस विधायक और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत 6 को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी.
वहीं, इस पूरे मामले में भाजपा पर नजरें टिकी हैं कि वह अगला कदम क्या उठाती है. बड़ी बात है कि बागी विधायकों ने पार्टी नहीं छोड़ी है और ऐसे में राज्यपाल की तरफ से अब तक फ्लोर टेस्ट को लेकर कोई आदेश नहीं आया है. जबकि भाजपा ने उनसे मुलाकात कर फ्लोर टेस्ट की मांग की थी.