सुप्रीमकोर्ट ने मनी लांड्रिंग मामले में पत्रकार राणा अय्यूब की याचिका की खारिज

नयी दिल्ली, 7 फरवरी (Swarnim Savera) ,,, सुप्रीमकोर्ट ने मनी लांड्रिंग मामले में गाजियाबाद की विशेष अदालत द्वारा समन किए जाने को चुनौती देने वाली पत्रकार राणा अय्यूब की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। हालांकि शीर्ष अदालत ने मामले को निचली अदालत के समक्ष उठाने का मार्ग खुला छोड़ दिया। जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने अय्यूब को सुनवाई कर रही अदालत के समक्ष न्यायाधिकार का मुद्दा उठाने की अनुमति दी और कहा कि यह साक्ष्य का सवाल है। जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन ने पीठ की ओर से फैसला सुनाया और धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा तीन का जिक्र करते हुए कहा कि नवी मुंबई जहां अय्यूब का खाता है उसे अपराध से आय अर्जित का स्थान बताया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सवाल कि क्या एक या अधिक गतिविधियां (पीएमएलए की धारा तीन के तहत) हुईं और साक्ष्य का सवाल तथा स्थान को सबूतों के आधार पर तय किया जाना है। इसलिए हम यह याचिकाकर्ता पर छोड़ते हैं कि वह इन मुद्दों को निचली अदालत के समक्ष उठाए। रिट याचिका को खारिज माना जाता है।’ पीएमएलए की धारा तीन के अनुसार, ‘जो कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होने का प्रयास करता है या जानबूझकर सहायता करता है या जानबूझकर हितधारक है या वास्तव में अपराध की आय से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल है और इसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करता है, वह धन-शोधन के अपराध का दोषी होगा।’ शीर्ष अदालत ने 31 जनवरी को समन को चुनौती देने वाली अय्यूब की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अपनी रिट याचिका में अय्यूब ने न्यायाधिकार की कमी का हवाला देते हुए गाजियाबाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया था क्योंकि कथित धन शोधन का अपराध मुंबई में हुआ था। मामले की सुनवाई के दौरान अय्यूब की ओर से पेश हुईं वकील ने कहा, ‘क्या उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को ऐसी प्रक्रिया से वंचित किया जा सकता है जो कानून द्वारा अधिकृत नहीं है?’ उन्होंने दलील दी कि गाजियाबाद की विशेष अदालत का इसे अपराध बताने का कोई न्यायाधिकार नहीं है क्योंकि कथित कृत्य मुंबई में हुआ है। ग्रोवर ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नवी मुंबई में पत्रकार के निजी बैंक खाते को जब्त कर लिया है जिसमें करीब एक करोड़ रुपये हैं। ईडी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि जांच एजेंसी ने मुकदमा गाजियाबाद की अदालत में दायर किया है क्योंकि वाद का कारण उत्तर प्रदेश से है, जहां गाजियाबाद सहित कई जगहों के लोगों ने उनके धन जुटाने के अभियान में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि धन शोधन अपराध कोई स्वतंत्र अपराध नहीं है और यह हमेशा से अधिसूचित अपराध से संबंधित होता है जिसके लिए गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

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