फिजियोथेरेपी की तरह निरंतरता, दृढ़ संकल्प देश के विकास के लिए भी जरूरी : मोदी
अहमदाबाद, 11 फरवरी (Swarnim Savera) ,,, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि फिजियोथेरेपी की तरह निरंतरता और दृढ़ संकल्प देश के विकास के लिए भी जरूरी है। मोदी ने यहां ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट’ (आईएपी) के 60वें राष्ट्रीय सम्मेलन को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कहा कि व्यायाम की बात हो या विकास के लिए नीतियों की बात हो, फिजियोथेरेपी लोगों और देश को निरंतरता समेत कई अहम संदेश देती है। उन्होंने कहा, ‘‘फिजियोथेरेपी की पहली शर्त निरंतरता है। आम तौर पर लोग जोश में दो से चार दिन व्यायाम करते हैं, लेकिन बाद में धीरे-धीरे उत्साह कम हो जाता है। एक फिजियोथेरेपिस्ट को पता होता है कि निरंतरता के बिना परिणाम नहीं मिलेगा।” मोदी ने कहा, ‘‘आपको सुनिश्चित करना होता है कि जरूरी व्यायाम बिना किसी अंतराल के हो। फिजियोथेरेपी की तरह ही निरंतरता और दृढ़ संकल्प देश के लिए भी जरूरी है। हमारी नीतियों में निरंतरता होनी चाहिए।” उन्होंने नीतियों में निरंतरता की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि केवल इसी से देश को ‘‘उठने और लंबी यात्रा पर आगे बढ़ने” में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें भी कभी-कभी फिजियोथेरेपिस्ट की मदद की जरूरत पड़ती है, लेकिन उन्होंने इसे योग के साथ जोड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी के साथ योग का भी ज्ञान होने से फिजियोथेरेपिस्ट की ‘‘पेशेवर क्षमता में बढ़ोतरी” होगी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा अनुभव है कि जब फिजियोथेरेपिस्ट के साथ योग की विशेषज्ञता जुड़ जाती है, तो उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। योग और आसनों के पास शरीर की उन आम समस्याओं का समाधान है, जिनके लिए फिजियोथेरेपी की आवश्यकता है।” मोदी ने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट को लोगों को सही व्यायाम, सही मुद्रा और स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए सही चीजों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें फिजिथेरेपी के पेशे से प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट ने सीखा है कि चुनौतियों से ज्यादा मजबूत आपके भीतर की ताकत होती है और शासन में भी यही देखने को मिलता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ थोड़े से प्रोत्साहन और सहयोग से लोग मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों पर भी विजय पा लेते हैं।” उन्होंने तुर्किये में 20,000 लोगों की मौत का कारण बने भीषण भूकंप का जिक्र करते हुए फिजियोथेरेपिस्ट से टेलीमेडिसिन (दूरचिकित्सा सेवा) के जरिए मरीजों को सलाह देने के तरीके खोजने को कहा। उन्होंने आईएपी में भाग लेने वालों से कहा, ‘‘अभी तुर्किये में इतना बड़ा भूकंप आया है, सीरिया में भी उसका असर है। इस तरह की आपदा के बाद बहुत बड़ी संख्या में फिजियोथेरेपिस्ट की भी जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में आप सभी मोबाइल फोन के माध्यम से भी विभिन्न तरीकों से मदद कर सकते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन को इस बारे में जरूर सोचना चाहिए।” उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा फिजियोथेरेपिस्ट वही होता है, जिसकी जरूरत मरीज को बार-बार महसूस ना हो, यानि एक तरह से यह पेशा ‘‘आत्मनिर्भरता” का महत्त्व सिखाता है। मोदी ने कहा, ‘‘हम कह सकते हैं कि लोगों को आत्म निर्भर बनाना ही आपका लक्ष्य है, इसीलिए भारत आज जब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है तो आपके पेशे के लोग आसानी से यह समझ सकते हैं कि यह हमारे देश के भविष्य के लिए जरूरी क्यों है।” उन्होंने कहा कि एक फिजियोथेरेपिस्ट जानता है कि सबसे अच्छे परिणाम तभी संभव है, जब वह और चिकित्सक मिलकर काम करें। मोदी ने कहा, ‘‘इसलिए आप विकास को जन आंदोलन बनाने के सरकार के प्रयासों के महत्त्व को बखूबी समझ सकते हैं।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने बैंक खाता खुलवाकर, शौचालय बनवाकर, लोगों तक नल का पानी पहुंचाकर और आयुष्मान भारत योजना जैसे कई अभियान चलाकर नागरिकों की मदद की है और इनसे मजबूत सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था बनी है। मोदी ने कहा, ‘‘इसका परिणाम क्या निकला है, ये भी हम देख रहे हैं। आज देश का गरीब, देश का मध्यम वर्ग बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस जुटा पा रहा है। वे आज दुनिया को दिखा रहे हैं कि अपने सामर्थ्य से वे नई ऊंचाइयों को छूने में सक्षम हैं।” मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने फिजियोथेरेपी को एक पेशे के रूप में मान्यता देकर तोहफा दिया है, जिसका वे आजादी से इंतजार कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट को डिजिटल राष्ट्रीय मिशन से जोड़ने से उन्हें मरीजों तक आसानी से पहुंचने में मदद मिली है। उन्होंने फिजियोथेरेपिस्ट से बुजुर्गों के लिए आवश्यक चुनौतीपूर्ण और महंगी स्वास्थ्य सेवा का दस्तावेजीकरण करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘आज के इस दौर में शैक्षणिक पत्रों और प्रस्तुतियों के रूप में आपका अनुभव पूरी दुनिया के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा। इससे भारतीय फिजियोथेरेपिस्ट की दक्षता भी सामने आएगी।” दो दिवसीय 60वां राष्ट्रीय आईएपी सम्मेलन 16 वर्ष के अंतराल के बाद गुजरात में आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान भारत और विदेशों के विशेषज्ञ इस क्षेत्र में प्रगति पर विचार-विमर्श करेंगे। सम्मेलन का एक आकर्षण चिकित्सकों के लिए पहली बार ‘वैज्ञानिक प्रस्तुतियां’ (पत्र और पोस्टर प्रस्तुतियां) हैं।