करोड़ों रु मिलने के सवाल पर लखमा बोले- एक फूटी कौड़ी नहीं मिली, अब 4 फरवरी तक जेल में
रायपुर/ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज मंगलवार को दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को कोर्ट में पेश किया। इस दौरान कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अब चार फरवरी तक लखमा जेल में ही रहेंगे। कोर्ट में अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी। इस दौरान मीडिया से चर्चा में लखमा ने कहा कि वे निर्दोष हैं। उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। मुझे देश के कानून पर पूरा भरोसा है। परेशान जरूर होंगे पर जीत सत्य की होगी। करोड़ों रुपये मिलने के सवाल पर कहा कि एक फूटी कौड़ी तक नहीं मिली।
आदिवासियों की आवाज दबा रहे: लखमा
उन्होंने कहा कि वे बस्तर के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे, जल्द ही सच्चाई सबके सामने आएगी। जब तक जेल में रखेंगे, जब तक जनता की आवाज उठाते रहेंगे। राज्य सरकार ने बहुत परेशान किया है। बस्तर में सच बोलने वाले को मार दिया जाता है। राज्य सरकार आदिवासियों की आवाज दबा रही है। झूठे केस में फंसाया जाता है। नगरनार स्टील प्लांट को बेचने जा रहे हैं। अबूझमाड़ में सेना बैठा रहे हैं। इसकी आवाज उठाने पर डबल इंजन की सरकार जेल में डाल रही है। जो हो रहा है, वो गलत हो रहा है। छह-छह बार चुनाव जीता हूं। विधानसभा में मैंने सवाल उठाये हैं, घर पहुंचने से पहले ही ईडी आ गई। राजनीतिक साजिश के तहत बस्तर की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है, हम जब तक रहेंगे बस्तर की आवाज उठाते रहेंगे।
हर महीने मिलते थे दो करोड़ रुपये’
शराब घोटाले केस की जांच में ईडी ने अब तक कई खुलासे किए हैं। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने कवासी की पहली पेशी पर दावा करते हुए कहा था लखमा को हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर मिलते थे। उन्हीं पैसों से उन्होंने कांग्रेस भवन और अपना अलीशान घर बनवाया है। 36 महीने में प्रोसीड ऑफ क्राइम 72 करोड़ रुपए का है। ये राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और सुकमा कांग्रेस भवन के निर्माण में लगाई गई है। गिरफ्तार अरुणपति त्रिपाठी और अरविंद सिंह ने पूछताछ में बताया था कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पास हर महीने कमीशन जाता था। शराब कर्टल से हर महीने लखमा को 50 लाख रुपए मिलते थे। 50 लाख रुपए के ऊपर भी डेढ़ करोड़ रुपए और दिया जाता था। इस तरह 2 करोड़ रुपए उन्हें हर महीने कमीशन के रूप में मिलता था। 36 महीने के घोटाले के हिसाब से मंत्री को 72 करोड़ रुपये मिले हैं। आबकारी विभाग में काम करने वाले ऑफिसर इकबाल खान और जयंत देवांगन ने बताया कि वे पैसों का जुगाड़ कर उनको भेजते थे। कन्हैया लाल कुर्रे के जरिए पैसों के बैग तैयार कर सुकमा भेजा जाता था। जगन्नाथ साहू और इनके बेटे हरीश लखमा के यहां जब सर्चिंग की गई डिजिटली सबूत मिले थे। इस डिजिटल सबूत की जब जांज की गई तो मालूम चला कि इस पैसे का उपयोग बेटे हरीश का घर बनवाने और सुकमा में कांग्रेस भवन बनवाने में किया गया है। इतना ही नहीं लखमा ने जांच में भी पूरी तरह से सहयोग नहीं किया। जो सबूत हैं उन्हें नष्ट करने की कोशिश हो सकती है।
28 दिसंबर 2024 को ईडी ने मारा था छापा
ईडी ने 28 दिसंबर 2024 को पूर्व आबकारी मंत्री लखमा के रायपुर के धरमपुरा स्थित बंगले पर दबिश दी थी। पूर्व मंत्री की कार की तलाशी ली गई थी। कवासी के करीबी सुशील ओझा के चौबे कॉलोनी स्थित घर और सुकमा में लखमा के बेटे हरीश लखमा और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर पर भी रेड मारी थी। ईडी के छापे के बाद लखमा ने कहा था कि घोटाला हुआ है या फिर नहीं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं तो अनपढ़ आदमी हूं, अधिकारी ने मुझे जहां साइन करने को कहते थे, मैं वहां कर देता था।
तीन बार पूछताछ के बाद हुई थी गिरफ्तारी
ईडी ने लखमा को 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया था, लेकिन उससे पहले दो बार 8-8 घंटे तक उनसे पूछताछ की गई थी। लखमा के बेटे हरीश लखमा से भी ईडी ने पूछताछ की थी।
जानें क्या है दो हजार करोड़ के शराब घोटाला मामला
ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2019-2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों में डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची गई थी। इस वजह से छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, जिससे वह किसी की पकड़ में न आ सके। घोटाले में संलिप्त लोगों ने इस होलोग्राम को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को टेंडर दिया था। यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर कंपनी को दे दिया गया था।
ऐसे खुला राज!
ईडी की चांच में पता चला कि टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक से कमीशन लिया गया था। इस मामले में जब कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को ईडी ने अरेस्ट किया तो उसने कांग्रेस सरकार में सीएसएमसीएल में एमडी अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर महापौर के बड़े भाई शराब कारोबारी अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया। जब ईडी ने इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे हुए। फिर साल 2024 में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम सामने आया। ED की जांच में पता चला है कि लखमा को शराब घोटाले से पीओसी (प्रोसीड ऑफ क्राइम) से हर महीने कमिशन मिलता था।