सीमा पार आतंकवाद का उपयोग करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए : भारत
संयुक्त राष्ट्र 13 जनवरी,। भारत ने सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा, संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सीमा पार आतंक का इस्तेमाल करने वाले राज्यों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, यह तभी संभव है जब सभी देश आतंकवाद जैसे सामान्य खतरों के खिलाफ एक साथ खड़े हों और राजनीतिक लाभ के लिए दोहरे मानकों में शामिल न हों।
उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कानून के शासन को लागू करने के लिए राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद सहित अन्य आक्रामकता से बचाना चाहिए।
जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने कहा कि कानून का शासन आधुनिक राष्ट्र राज्यों का आधारभूत आधार है इसे राष्ट्रों के बीच भरोसे पर टिका होना चाहिए।
उन्होंने कहा, यदि समझौतों का सद्भावपूर्वक पालन नहीं किया जाता है, तो कानून का शासन नहीं रह जाता और दुनिया में जंगल राज आ जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी, हम अराजकता के शासन के गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, परमाणु हथियारों के अवैध विकास से लेकर बल के अवैध इस्तेमाल तक, विभिन्न देश अंतरराष्ट्रीय कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
उन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा, इसने एक मानवीय और मानवाधिकार तबाही पैदा की है, बच्चों की एक पीढ़ी को आघात पहुंचाया है, और वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट को तेज किया है।
कंबोज ने सीधे तौर पर यूक्रेन की स्थिति का उल्लेख नहीं किया, लेकिन कहा, कानून के शासन के लिए आवश्यक है कि देश एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें, क्योंकि वे अपनी खुद की संप्रभुता का सम्मान करने की उम्मीद करते हैं।
सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा, कानून के शासन को मजबूत करने के लिए वैश्विक प्रशासन के अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की भी आवश्यकता है, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव की जि़म्मेदारी भी शामिल है।
उन्होंने कहा, पुराने जमाने के ढांचे के आधार पर कानून के शासन को मजबूत करने का हमारा उद्देश्य पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकेगा।
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