बाघ की खाल-नाखून बेचने निकले आरोपी चढ़े पुलिस के हत्थे

–  युवकों ने ओरछा के जंगलों में तीर कमान से किया था बाघ का शिकार 
कोंडागांव/ जगदलपुर 24 Jully (Swarnim Savera) । बस्तर संभाग में बाघ और अन्य वन्यप्राणियों के शिकार तथा उनकी खाल की तस्करी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बीजापुर के बाद अब कोंडागांव जिले में ऐसे मामले का खुलासा हुआ है। कोंडागांव जिले में करीब 20 लाख रुपए मूल्य की बाघ  खाल, नाखून और दांत के साथ 4 शिकारियों को पकड़ा गया है। आरोपी युवकों ने ओरछा क्षेत्र के जंगल में चार माह पहले इस बाघ का शिकार किया था।
       मामला कोंडागांव जिले के बयानार थाना क्षेत्र का है। पुलिस को सूचना मिली थी कि टेमरू गांव के नजदीक कुछ लोग बाघ की खाल बेचने के लिए ग्राहक की तलाश में घूम रहे हैं। इस सूचना के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। पुलिस जवानों को देखकर सभी युवक भागने लगे। चारों को घेरकर पकड़ लिया गया। थाना लाकर आरोपियों से पूछताछ की गई। नारायणपुर जिले के निवासी इन आरोपियों के नाम कारूराम गोटा 28 वर्ष, सोनूराम 41 वर्ष, देउराम उसेंडी 40 वर्ष एवं  लखमू ध्रुव 35 वर्ष है। सभी नारायणपुर जिले के ओरछा थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। इन युवकों ने पुलिस को बताया कि गांव के जंगल में बाघ के होने की खबर मिली थी। चारों ने मिलकर बाघ को मारने की योजना बनाई। योजना के तहत वे रोज बाघ को ढूंढने के लिए जंगल जाते थे। एक दिन शाम के समय बाघ नजर आ गया, फिर उसे आरोपियों ने तीर कमान से मार डाला।
मांस को पकाकर खा गए आरोपी!
आरोपियों ने बाघ पर 3 -4 तीर मारे। एक तीर बाघ के पेट में जा धंसा, जिससे बाघ की मौत हो गई। बाघ की हत्या के बाद आरोपियों ने बाघ की खाल जंगल में ही उतार ली, उसके दांत और नाखून निकाल लिए। बाघ के मांस को आरोपियों ने पकाकर खा लिया। इसके बाद उसी जगह पर बाघ की खाल को छुपाकर रख दिया था।शिकार के बाद से वे खाल, दांत व नाखूनों बेचने के लिए ग्राहक की तलाश में लगे हुए थे। बयानार इलाके में खाल के साथ ग्राहक ढूंढने पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।
इंद्रावती टाइगर रिजर्व से आया था बाघ
एक महीने के अंदर बस्तर में यह दूसरे बाघ का शिकार है। इससे पहले बीजापुर जिले के एक गांव में शिकारियों ने इंद्रावती टाइगर रिजर्व में ही एक बाघ को मार डाला था। अब ओरछा क्षेत्र में जिस बाघ का शिकार किया गया है, वह भी इंद्रावती टाइगर रिजर्व का ही बताया जा रहा है। तीन साल उम्र वाला यह बाघ भटककर नारायणपुर के जंगल में पहुंच गया था।

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