होई है वही, जो रमन रचि राखा …
= बस्तर एवं बीजापुर के पुनः निर्वाचित विधायकों के मिलन ने क्या गुल खिलाया ?=
*-अर्जुन झा-*
*जगदलपुर।* यहां स्थित बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल के निवास पर शनिवार को दिलचस्प नजारा देखने को मिला। फिर से जीतकर आए दो कांग्रेस विधायकों का जब मिलन हुआ, तो दोनों की बांछें खिली हुई थीं, मगर उनमें कुछ निराशा भी झलक रही थी। गम इस बात का था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकी और बस्तर संभाग में 75 फीसदी विधानसभा सीटों से पार्टी को हाथ धोना पड़ा। ऐसे में लग रहा था मानो विधायक विक्रम मंडावी अपने अग्रज विधायक लखेश्वर बघेल से पूछ रहे हों कि अब क्या होगा लखी भैया? और जवाब में लखी भैया कह रहे हों क्या होना है विक्की, होई है, वही जो रमन रचि रखा। वहीं इन दोनों विधायकों के मिलन के बस्तर के सियासी गालियारे में कुछ और मायने निकाले जा रहे हैं। कोई कह रहा है कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद के लिए गोलबंदी का यह पहला चरण है। वहीं कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि अपने – अपने क्षेत्र के विकास के लिए दोनों विधायक भाजपा से समझौता कर सकते हैं। दूसरी ओर दोनों विधायकों ने इस मुलाकात को सौजन्य भेंट करार दिया है।
बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल के निवास में शनिवार को बीजापुर से दोबारा चुने गए विधायक विक्रम मंडावी अचानक पहुंच गए। श्री मंडावी ने बस्तर सीट से तीसरी बार निर्वाचित होने पर विधायक लखेश्वर बघेल को बधाई दी। श्री बघेल ने भी बीजापुर सीट से पुनः चुने जाने पर विक्रम मंडावी को शुभकामनाएं दी। इसके बाद दोनों नव निर्वाचित विधायकों ने एक दूसरे का मुंह मीठा कराया। दोनों हंसते – मुस्कुराते हुए इस मिलन की तस्वीर खिंचवाई और उसे मीडिया में शेयर भी किया। लखेश्वर बघेल और विक्रम मंडावी के बीच लंबी सियासी चर्चा भी हुई। कहा जा रहा है कि कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में मिली हार को लेकर मंत्रणा और बस्तर संभाग में बारह में से फकत चार सीटें कांग्रेस को मिलने पर दोनों ने चिंता जताई। हार के कारणों पर भी मंथन हुआ। इस मिलन पर शहर के एक सज्जन ने ‘हम तो ठहरे परदेशी…. साथ क्या निभाओगे…’ गाना गाते हुए चुटकी भरे अंदाज में कहा- विक्रम मंडावी ने लखेश्वर बघेल से पूछा कि लखी भैया, छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आ रही है, हम तो ठहरे कांग्रेसी भाजपा क्या साथ निभाएगी? तो इसके जवाब में लखेश्वर बघेल ने श्री मंडावी से कहा कि क्या होना है विक्की, होना है वही जो रमन रचि राखा। हमें अपने अपने क्षेत्र के विकास की चिंता करनी है, बस। इस सज्जन ने अपनी बात पूरी करते हुए एक और गाने का तड़का लगा दिया – इस जंगल के हम दो शेर.. चल घर जल्दी, हो गई देर….। वहीं एक और शख्स ने अंदाजा लगाते हुए कहा कि दोनों विधायक अपने क्षेत्रों के विकास के लिए भाजपा से समझौता कर सकते हैं, यानि भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख दोनों विधायक नहीं अपनाएंगे। वहीं तीसरे सज्जन का अनुमान था कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद के लिए कांग्रेस में लॉबिंग शुरू हो गई है और इस मुलाकात का उद्देश्य भी यही था।लखेश्वर बघेल ने हैट्रिक लगाई है और विक्रम मंडावी ने डबल धमाल किया है। कांग्रेस की सरकार बनती, तो ये दोनों निश्चित रूप से मंत्री बन जाते। इस बात का मलाल दोनों विधायकों को हुआ होगा। इसीलिए गमगलत करने दोनों मिले थे।
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*नेता प्रतिपक्ष के प्रबल दावेदार हैं बघेल*
बहुत हो गई बातें मजाक और दिल बहलाने की। अब इस मिलन के असल मुद्दे की बात करते हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस अब विपक्ष की भूमिका में आ गई है। निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत तमाम कांग्रेस विधायक विधानसभा की विपक्ष वाली गैलरी में बैठेंगे। विपक्ष का लीडर कौन हो, इसे लेकर कांग्रेस में गोलबंदी भी शुरू हो गई है। नेता प्रतिपक्ष के लिए पाटन दुर्ग के विधायक भूपेश बघेल, सक्ती के विधायक डॉ. चरणदास महंत और बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को भी बदला जा सकता है और अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भूपेश बघेल को दी जा सकती है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष का पद किसी आदिवासी विधायक को दिया जा सकता है। ऐसे में बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल का इस पद के लिए पहला हक बनता है। तीन बार चुनाव जीतना लखेश्वर बघेल की दावेदारी को और भी मजबूती प्रदान करता है। वहीं विक्रम मंडावी को उप नेता प्रतिपक्ष की जवाबदारी मिल सकती है। कहा जा रहा है कि लखेश्वर बघेल और विक्रम मंडावी की मुलाकात की असल वजह भी यही रही है।