झीरम घाटी के गुनहगार नक्सलियों की सूची हुई आम

एनआईए ने जारी की कांग्रेस नेताओं की हत्या में शामिल नक्सलियों की लिस्ट = 

= नक्‍सलियों पर 50 हजार से 7 लाख रू. तक ईनाम =

*-अर्जुन झा-*

*जगदलपुर।* झीरम घाटी के गुनहगारों के चेहरों पर से नकाब उतर गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इन 19 गुनहगारों के चित्र और नाम आम कर दिए हैं। इस हृदय विदारक घटना को अंजाम देने वाले नक्सलियों पर 50 हजार रू. से लेकर 7 लाख रू. तक के ईनाम घोषित हैं। एनआईए ने आम नागरिकों से मानवता के इन दुश्मनों का सुराग देने की अपील की है।  

       बस्तर संभाग के दरभा विकासखंड में स्थित झीरमघाटी में घटित दिल को दहला देने वाली इस वारदात में नक्सलियों ने दस साल पहले 25 मई 2013 को अंजाम दिया था। इस घटना में वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार साय, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदय मुदालियर समेत 32 कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं और पुलिस एवं सुरक्षा बलों के जवानों की बारुदी विस्फोट तथा फायरिंग कर हत्या कर दी गई थी। कांग्रेस के ये नेता राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ परिवर्तन यात्रा लेकर दंतेवाड़ा से रवाना हुए थे। इसी दौरान झीरमघाटी में घात लगाए बैठे नक्सलियों ने उनके काफिले पर हमला कर दिया था। इस जघन्य वारदात ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और इस दर्द की टीस अभी भी महसूस की जाती है। घाटी से गुजरने वाले लोग उक्त स्थान के पास पहुंचते ही आज भी घटना को याद कर द्रवित हो उठते हैं। झीरमघाटी की बरसी पर हर साल शहादत स्थल पर आज भी कांग्रेस के लोग और आम नागरिक पहुंचकर शहीद नेताओं और जवानों को नमन करते हैं। इस दौरान सभी की आंखों से अश्रुधारा बरबस बहने लग जाती है। इस मामले की जांच अब एनआईए ने तेज कर दी है। एनआईए ने घटना में शामिल रहे इन मोस्ट वांटेड 19 नक्‍सलियों की तस्वीर सहित सूची जारी की है। सूची में शामिल सभी नक्सली दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों के निवासी हैं। इनमें से किसी नक्सली पर 50 हजार रू., किसी पर एक लाख रू., किसी पर ढाई लाख रू., किसी पर पांच लाख, तो किसी पर सात लाख रुपए तक के ईनाम एनआईए ने घोषित कर रखे हैं।

*बॉक्स*

*ये हैं झीरमघाटी के खलनायक* 

 एनआईए ने जो सूची जारी की है, उसमें तिरुपति देवजी उर्फ चेतन उर्फ देवन्ना उर्फ रमेश उर्फ संजीव उर्फ देवन्ना उर्फ कुमार दादा, पाका हनुमंता उर्फ गणेश उइके उर्फ गणेशन्ना उर्फ राजेश तिवारी, भगत हेमला उर्फ बदरू, तेलम आयतू उर्फ आयतू डोडी, सारिता केकम उर्फ मिटाकी, कुम्मा गोंदे उर्फ गुड्डू उर्फ प्रदीप, बारसे सुक्का उर्फ देवा उर्फ देवन्ना, मोड़ीयाम रमेश उर्फ लच्छू, सोमी पोटाम उर्फ सोनी पोटाम उर्फ सोमे पोटाम, सन्नू वेट्टी, जयलाल मंडावी उर्फ  गंगा, कुरसम सन्नी उर्फ कोसी उर्फ लच्छी, कामेश कवासी उर्फ कामेश, कोरसा लक्खू उर्फ लक्खू, सोमा सोढ़ी उर्फ सुरेंदर उर्फ माड़वी सोमा उर्फ मड़कामी उर्फ मड़कामी सोमा, बदरू मोड़ीयम उर्फ मंगतू उर्फ किथन, कोरसा सन्नी उर्फ सन्नी कोरसम उर्फ सन्नी उर्फ सन्नी हेमला, मंगली कोसा उर्फ मंगली मोड़ीयाम और मड्डा मड़कामी के नाम शामिल हैं। इन नक्सलियों का सुराग देने अथवा उनकी गिरफ्तारी कराने वालों को ईनाम देने की घोषणा एनआईए ने की है।

*बॉक्स*

*सरकार बदलते ही जांच तेज*

  झीरामघाटी की इस लोमहर्षक घटना को दस साल से भी अधिक समय गुजर चुका है। इस बीच जांच का मसला छत्तीसगढ़ पुलिस और एनआईए के बीच झूलता रहा। शुरुआत में छत्तीसगढ़ पुलिस मामले की जांच करती रही। फिर भाजपा शासनकाल में डॉ. रमन सिंह की सरकार ने मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की सिफारिश की। तब जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा गया। एनआईए ने जांच प्रक्रिया शुरू की ही थी कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदल गई। कांग्रेस की सरकार ने मामला फिर छत्तीसगढ़ पुलिस के हवाले कर दिया। इस बीच एनआईए भी अपने स्तर पर मामले से जुड़ी जानकारियां जुटाती रही। अब सत्ता परिवर्तन हो गया और राज्य में फिर से भाजपा की सरकार बन गई तब फिर से एनआई ने पूरे दमखम के साथ मोर्चा सम्हाल लिया है। जांच में तेजी आ गई है। उम्मीद है कि अब झीरमघाटी नरसंहार के हर रहस्य, हर साजिश और नेताओं की मिलीभगत का राजफाश जल्द हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस घटना में शहीद हुए कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा के बेटे घटना में संभाग के कतिपय नेताओं पर संलिप्तता का आरोप लगाते हुए मामले की सीबीआई या एनआईए से जांच कराने की मांग करते रहे हैं।

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