पुरुष की कामयाबी में महिला, तो महिला की कामयाबी में पुरुष का हाथ होता है : सरस्वती साहू

सह-संपादक-सुरेन्द्र साहू
भिलाई। छत्तीसगढ़ के गांवों में कुछ दशकों से महिलाओं का राजनीति में प्रतिनिधित्व करने का कार्यक्षेत्र बढ़ा है। चार से पांच दशक पहले ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीति तो दूर महिलाओं को सामाजिक बैठकों व अन्य क्षेत्रों में भी अवसर नहीं मिलता था। इसका सबसे बड़ा कारण था ,शिक्षा का स्तर उसकी पहुंच और आवागमन का अभाव। संस्कारों को महत्व देना व सम्मान करना हम सभी का दायित्व है। उस समय संस्कारों की आड़ में छुपी हुई एक परम्परा जिसे हम आज रूढि़वादी सोच कहते हैं,इसी सोच ने महिलाओं के कदम को राजनीति के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी जाने से रोक रखा था। ज्यों ज्यों शिक्षा का प्रचार प्रसार होता गया समय के साथ साथ तस्वीरें भी बदलती गईं। महिलाओं के कदम घर की डेहरी से बाहर निकले और उन्होंने अलग अलग क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। राजनीति के क्षेत्र में भी इसी बदली हुई तस्वीर में कई चेहरों की दमक दिखाई दी, उन्हीं में से एक और चेहरा उतई नगर पंचायत चुनाव में उभरकर सामने आया। वो है भारतीय जनता पार्टी की नव निर्वाचित उतई नगर पंचायत अध्यक्ष सरस्वती नरेन्द्र साहू का। 2019 में पार्षद पद का चुनाव जीतने के बाद, दूसरी पारी में भी जीत को दोहराते हुए 8 मार्च 2025 को शपथ ग्रहण के साथ ही इस नगर पंचायत की चौथी अध्यक्ष के रूप में पद पर आसीन हुईं।कौही गांव के एक शिक्षक पिता बिसहत राम साहू माता प्रमिला साहू के परिवार में जन्म लेने वाली सरस्वती साहू की प्रारंभिक माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा कौही,असोगा और रानीतराई में हुई। स्नातक की शिक्षा उन्होंने पाटन कॉलेज से प्राप्त की। कब्बड्डी, क्रिकेट के खेल और सांस्कृतिक विधाओं में रुचि रखने वाली सरस्वती साहू विवाह के बन्धन में बंधकर जब ससुराल आई तो वहां उन्होंने पिता के समान एक शिक्षक श्वसुर यशवंत लाल साहू का साया अपने सिर पर पाया।सरस्वती साहू से स्वर्णिम सवेरा प्रतिनिधि के साथ हुई बातचीत में उन्होंने अपनी भावनाओं को पटल पर रखा। राजनीति में आने की सोच के पीछे उनके प्रेरणाश्रोत कौन है? उन्होंने बताया कि 2014 में मेरे पति नरेन्द्र साहू के पार्षद चुनाव में जीत हासिल करने के बाद हमारे घर से सक्रिय राजनीति की शुरुआत हुई।तब भी मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि राजनीति की राह मेरे लिए द्वार खोल के खड़ी है। जिस वार्ड से मेरे पति ने चुनाव लड़ा था वह 2019के चुनाव में महिला के लिए आरक्षित हो गया। उस समय मेरे श्वसुर ने मुझे राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद से ही मैं उन्हें अपना प्रेरणाश्रोत मानती हूं। सबको मैंने यही कहते सुना कि पुरुष की कामयाबी के पीछे महिला का हाथ होता है।आज मैं कहना चाहती हूं, एक महिला की कामयाबी के पीछे एक पुरुष का हाथ होता है चाहे वह पति,पिता या श्वसुर हो। राजनीति में महत्वपूर्ण क्या होता है?उन्होंने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधि चाहे वो विपक्ष के ही क्यों ना हों उनके क्षेत्र की जनता की हर एक अपेक्षाओं को पूरा करने हमेशा उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलना राजनीति की महत्वपूर्ण कड़ी होती है। अध्यक्ष के रूप में सबसे बड़ी चुनौती क्या है? सबको साथ लेकर चलना ही मेरी सबसे बड़ी चुनौती है। इस नगर पंचायत में भारतीय जनता पार्टी के हमारे दस पार्षदों सहित कांग्रेस के तीन और जेसीपी के दो पार्षदों के साथ नगर के विकास का जो सपना हमने देखा है उसे मिलजुल कर पूरा करेंगे। विपक्ष के जो साथी हैं उनके साथ भेदभाव नहीं होगा मैं निस्वार्थ और भेदभाव से परे रहकर काम करते हुए अपने पद की प्रतिष्ठा पर कभी आंच नहीं आने दूंगी। उतई की जनता ने जीत दिलाकर अगर मुझे सर आंखों पर बिठाया है तो मेरा भी कर्तव्य है कि हर एक व्यक्ति के आशाओं के अनुरूप उनकी सेवा करती रहूं।बातचीत के दौरान अपने पारिवारिक जीवन से जुड़ी पहलुओं को साझा करते हुए कहा कि चुनाव के समय मुझे मेरे पति नरेन्द्र साहू दो बेटी छाया साहू बीएससी फाइनल और रुचिका साहू बीएससी फस्टियर की पढ़ाई कर रही हैं उनका भरपूर सहयोग मिला। भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं और कार्यकर्ताओं के जी तोड़ परिश्रम का फल मुझे जो जीत के रूप में मिला है, हर घड़ी मेरी स्मृति पटल पर रहेगा। बड़े ही आत्मविश्वास और दृढ़तापूर्वक उन्होंने कहा कि पद की अपनी एक गरिमा होती है उसका मैं हृदय से सम्मान करती हूं, परन्तु व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके सभ्य और सम्मान जनक व्यवहार से निखरता है, जो उसे जनमानस के मन में सदैव जीवित रखता है।

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