विश्वनाथ चटर्जीः ‘‘रोल चाहे लीडिंग हो या सपोर्टिंग, इससे फर्क नहीं पड़ता, वह बस दिलचस्प और विविधतापूर्ण होना चाहिये’’

विश्वनाथ चटर्जी टेलीविजन, ओटीटी और फिल्मों में जाना-माना नाम हैं और अब वे एण्डटीवी
के शो ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में हप्पू के वकील दोस्त बेनी के हंसाने वाले और अनोखे
किरदार के चलते बहुत लोकप्रिय हो गये हैं। वह अपने दोस्त हप्पू (योगेश त्रिपाठी) को बार-बार
मुसीबतों से बचाकर अपनी दमदार काॅमिक टाइमिंग से दर्शकों को गुदगुदा रहे हैं। इस इंटरव्यू में
उन्होंने मनोरंजन उद्योग में अपने सफर, अपने मौजूदा शो और आगामी प्रोजेक्ट्स पर बात की।

  1. आपकी राय में कौन-सी बात बेनी के किरदार को दर्शकों के लिये इतना चहेता बनाती है?
    मेरे किरदार बेनी को दर्शकों से जो प्रतिक्रिया मिली है, उसे देखकर मैं बहुत खुश हूं और इतना
    प्यार देने के लिये मैं उनका जितना भी शुक्रिया करूं, कम होगा। जब भी बेनी के दोस्त और साले
    हप्पू पर परेशानी आती है, तब बेनी की चतुराई देखने लायक होती है। वह सारी परेशानियों में हप्पू
    के साथ खड़ा रहता है, लेकिन कभी-कभी खुद भी समस्या का कारण बन जाता है (हंसते हैं)।
    हमारे किरदार हप्पू और बेनी जिन कठिनाइयों से गुजरते हैं और फिर हंसी दिलाने वाले जिन गेट-
    अप्स में आते हैं, उनके कारण ही दर्शक हमारे शो को लगातार देखते हैं।
  2. आप लंबे समय से फिल्मों और टीवी में काॅमेडी कर रहे हैं। क्या इसमें आप सहज रहते हैं?
    एक्टर के तौर पर मुझे एक ही जोनर में काम करते रहने के बजाए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। मैंने
    अपने कॅरियर में काॅमेडी भूमिकाएं निभाने का बड़ा मजा लिया है। दर्शकों को हंसाना किसी भी
    परफाॅर्मर के लिये सबसे कठिन कामों में से एक है और मुझे खुशी है कि मैं ऐसा कर सकता हूँ। मेरे
    शो ‘हप्पू की उलटन पलटन’ में मेरा ह्यूमर हालातों के मुताबिक और हल्का-फुल्का होता है,
    जिसके कारण मैं तुरंत दर्शकों से जुड़ जाता हूँ। और मुझे भी इसमें मजा आता है। लेकिन फिर भी
    मैं कुछ गंभीर किरदार निभाना चाहूंगा, खासकर निगेटिव रोल। मैं अच्छी तरह से गढ़ा गया एक
    किरदार निभाना चाहता हूँ, जो अपनी छाप छोड़े। चाहे रोल लीडिंग हो या सपोर्टिंग, इससे कोई

फर्क नहीं पड़ता है, बस वह दिलचस्प होना चाहिये और उसमें वैरायटी होनी चाहिये और वह
मनोरंजक होना चाहिये।

  1. क्या पर्दे के पीछे भी योगेश (हप्पू) के साथ आपका ऐसा ही रिश्ता है?
    पर्दे पर हमें एक-दूसरे का दोस्त बने चार साल हो चुके हैं। अब हम एक परिवार की तरह हैं। शो में
    मेरे ज्यादातर सीन उन्हीं के साथ होते हैं और उनकी शूटिंग में हमारा बहुत वक्त बीतता है। चाहे हम
    सीन में न हों, साथ में बैठते हैं, चुटकुले बनाते हैं और दिल खोलकर हंसते हैं। हम रिहर्सल के दौरान
    एक-दूसरे की टांग खींचते रहते हैं, जिसमें बड़ा मजा आता है। मैं आसानी से कह सकता हूँ कि
    अगर हम साथ हों तो ‘हप्पू की उलटन पलटन’ के सेट पर कोई पल नीरस नहीं होता है, क्योंकि हम
    अपनी हरकतों से सभी को हंसाते हैं।
  2. लगातार फिल्में करने के बाद आप किस कारण से टीवी पर लौटे?
    एक्टर के तौर पर मुझे अच्छा काम चाहिये, चाहे प्लेटफाॅर्म कोई भी हो। मेरी दोस्त कविता
    कौशिक ने निर्देशक शशांक बाली को उनके एक शो के लिये, मेरा काॅन्टैक्ट नंबर दिया था, और
    उस शो में मैंने एपिसोडिक किरदार किये थे। मेरे अभिनय से वह काफी प्रभावित हुए। लेकिन मैंने
    सोचा नहीं था कि उनके साथ मेरा रिश्ता इतना लंबा चलेगा। उन्होंने बताया कि वे ‘भाबीजी घर
    पर हैं’ के विस्तार स्वरूप एक शो ‘हप्पू की उलटन पलटन’ बनाने की योजना में हैं और मुझे हप्पू के
    वकील दोस्त की भूमिका में लेना चाहते हैं। ‘भाबीजी घर पर हैं’ की भारी लोकप्रियता को देखते
    हुए मैंने तुरंत हामी भर दी।

विश्वनाथ चटर्जी को बेनी की भूमिका में देखिये, ‘हप्पू की उलटन पलटन’ में, रात 10:00

बजे, हर सोमवार से शुक्रवार सिर्फ एण्डटीवी पर

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